जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस चेलमेश्वर बोले, ‘कोई लगातार मेरे खिलाफ अभियान चला रहा है’.

जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस चेलमेश्वर बोले, 'कोई लगातार मेरे खिलाफ अभियान चला रहा है'.नईदिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलमेश्वर ने विभिन्न पीठों को मामले आवंटित करने पर दिशा-निर्देश तय किए जाने की पूर्व कानून मंत्री की अपील को सूचीबद्ध करने का आदेश देने में गुरुवार असमर्थता जताई. उन्‍होंने कहा कि कोई लगातार मेरे खिलाफ अभियान चला रहा है जैसे मानो मुझे कुछ हासिल करना है.

मैं शांति भूषण की याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाहूंगा- जस्टिस चेलमेश्वर 
उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने कहा कि, ‘मैं शांति भूषण की याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाहूंगा, इसके कारण एकदम स्पष्ट हैं. कोई लगातार मेरे खिलाफ अभियान चला रहा है, जैसे मानो मुझे कुछ हासिल करना है.’

देश अपना रास्ता खुद तय करेगा- न्यायमूर्ति चेलमेश्वर
न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा कि वह नहीं चाहते कि अगले 24 घंटे में उनके आदेश को फिर से पलटा जाए. यह देश अपना रास्ता खुद तय करेगा, लेकिन मैं इस जनहित याचिका की सुनवाई नहीं कर सकता, इसके लिए मैं खेद व्यक्त करता हूं.

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने यह टिप्पणी तब की जब वरिष्‍ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के यह कहने पर कि उनके पिता शांति भूषण की जनहित याचिका सूचीबद्ध नहीं की गई. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर द्वारा इस मामले को सूचीबद्ध करने से इनकार करने के बाद प्रशांत भूषण ने अपनी याचिका का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश के समक्ष किया.

जस्टिस जोसेफ कुरियन ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र
उल्‍लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा एक जज और एक वरिष्‍ठ वकील को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्‍त किए जाने संबंधी सिफारिशों की फाइल पर पर सरकार अप्रत्‍याशित रूप से चुप्‍पी साधे है. ऐसे में यदि इसका जवाब नहीं दिया गया तो सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्‍व खतरे में पड़ जाएगा. इस आशय का खत सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ कुरियन ने बुधवार को चीफ जस्टिस (CJI) दीपक मिश्रा को लिखा है.

जस्टिस कुरियन ने चीफ जस्टिस से मामले का स्‍वत:संज्ञान लेने की अपील की
दरअसल, कॉलेजियम ने वरिष्‍ठ वकील इंदु मल्‍होत्रा और उत्‍तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्‍त करने की सिफारिश की है. इसी संदर्भ में जस्टिस जोसेफ कुरियन ने चीफ जस्टिस से सख्‍त शब्‍दों में अपील करते हुए कहा, ”इस कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि तीन महीने बीत जाने के बावजूद की गई सिफारिशों का क्‍या हुआ, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.” द इंडियन एक्‍सप्रेस की इस रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस कुरियन ने चीफ जस्टिस से मामले का स्‍वत:संज्ञान लेने की अपील की है. यदि उनकी मांग को स्‍वीकार कर लिया जाता है तो खुले कोर्ट में सात वरिष्‍ठतम जज इस मामले की सुनवाई करते हुए लंबित सिफारिशों के बारे में सरकार से पूछ सकते हैं. वे सरकार से एक निर्धारित समयसीमा के भीतर जजों की नियुक्ति के लिए वारंट जारी कर सकते हैं और उसकी तामील नहीं होने पर मानहानि का मामला बनता है.

Bureau Report

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