सरकार की नाकामी, 400 करोड़ की नकली दवा सालाना बिक रही हैं राजस्थान में

सरकार की नाकामी, 400 करोड़ की नकली दवा सालाना बिक रही हैं राजस्थान मेंजयपुर: राजस्थान में हर साल लगभग 400 करोड़ की नकली दवाएं धड़ल्ले से बिक रही हैं। असली जैसे कंटेंट होने के कारण सरकारी लैब नकली दवाओं को पहचानने में फेल हो रही है। इससे खुद औषधि नियंत्रण संगठन सकते में है। हालत यह है कि सरकार को नकली दवा पहचानने के लिए असली दवा निर्माता कम्पनियों की शरण लेनी पड़ रही है।

नकली दवा के कारोबार से जुड़े लोग असली दवा के तमाम कंटेंट इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सरकारी जांच प्रयोगशाला में दवा अमानक के तौर पर सामने ही नहीं आ रही। इससे औषधि नियंत्रण संगठन के अधिकारी हैरान हैं। सूत्रों के अनुसार नकली दवा का यह कारोबार देश-विदेश की नामी दवा कंपनियों के नाम पर हो रहा है। दवा बाजार के अनुमान के अनुसार नकली दवा का कारोबार कुल दवा कारोबार का करीब 2 फीसदी माना जाता है। यह आकलन सही है तो जाहिर है कि प्रदेश में 20 हजार करोड़ के सालाना दवा कारोबार में करीब 400 करोड़ की दवाएं नकली खप रही हैं।

नकली बनाना इसलिए आसान

संगठन की पड़ताल में यह भी सामने आया कि बाजार में दवाओं का अधिकांश कच्चा माल उपलब्ध है। ऐसे में नकली दवाएं आसानी से बन रही हैं। संगठन का कहना है कि भले ही असली दवा के कंटेंट इस्तेमाल हो रहे हों लेकिन यह धोखाधड़ी ही नहीं बल्कि जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी है।

औषधि नियंत्रक अजय फाटक ने माना नहीं पहचान पाते सैंपल, भेजते हैं कंपनी सरकारी लैब में इनकी पहचान नहीं हो पा रही? हां, कई मामलों में सामने आया है कि नकली दवा निर्माता ऐसे तमाम कंटेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो असली दवा में होते हैं। जांच लैब दवा में बताए कंटेंट की ही जांच करती है, इसलिए पहचान नहीं होती। क्या ऐसी दवाओं की पहचान हो ही नहीं पाएगी? नहीं, संदिग्ध सैंपल असली निर्माता कंपनी को भेजते हैं। असली दवा निर्माता कंपनी पहचान पाती है? हां, उनके लिए आसान होता है। उनके पास  क्लू होते हैं। क्या इस कारोबार पर रोक लग पाएगी? लोग मदद करें। किसी दवा में अधिक डिस्कांउट मिले तो सतर्क रहें। दुष्प्रभाव के प्रति भी सावचेत रहें।

Bureau Report

 

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