जोधपुर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अगले साल की पहली तिमाही में अपना दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च करने जा रहा है। चंद्रयान-2 के साथ इस बार एक रोबोट जैसा उपकरण लेण्डर व रोवर जाएगा। लेण्डर व रोवर चंद्रमा की सतह के तापमान के डाटा इसरो के जरिए जोधपुर स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो साइंस (आईसीआरएस) में भेजेगा, जहां तापमान का विश्लेषण होगा। तापमान के विश्लेषण के साथ यह पता चलेगा कि चंद्रमा की सतह पर कहां-कितना पानी है और कितना पानी बर्फ की कितनी मोटी परत के रूप में उपस्थित है।
इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 मिशन भेजा था, जिसके बाद चंद्रयान-2 भेजने में इसरो को दस साल लग गए हैं। चंद्रयान-1 का अपने लॉन्चिंग के करीब एक साल बाद ही इसरो से सम्पर्क टूट गया था, लेकिन वह अब भी चंद्रमा की 200 किलोमीटर की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। चंद्रयान-2 की खास विशेषता लेण्डर व रोवर है, जो करीब 1250 किलोग्राम का है। गौरतलब है कि चंद्रमा पृथ्वी से करीब 3 लाख 84 हजार किलोमीटर दूर है। चंद्रयान-1 को वहां पहुंचने में 15 दिन लगे थे।
कई क्रेटर पर नहीं पहुंची सूरज की रोशनी
इसरो जीएसएलवी मार्क-2 रॉकेट के जरिए आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष स्टेशन से चंद्रयान-2 भेजेगा। इसके साथ लेण्डर-रोवर भी जाएगा। चंद्रमा की सतह के नजदीक पहुंचने पर लेण्डर-रोवर वहां छोड़ दिया जाएगा। वैसे तो इस पर कई उपकरण लगे होंगे, लेकिन तापमान के रिकॉर्ड के लिए दो माइक्रोवेव राडार होंगे। चंद्रमा पर माइनस 170 डिग्री से लेकर 130 डिग्री तक तापमान है। चंद्रमा की दूसरी साइड में एेसे कई क्रेटर हैं, जहां कभी भी सूरज की रोशनी नहीं पहुंची है। वहां का तापमान माइनस 249 डिग्री है। लेण्डर-रोवर अलग-अलग सतह के तापमान रिकॉर्ड करेगा और धरती पर भेजेगा। इसरो ने तापमान विश्लेषण का काम आईसीआरएस को दिया है।
पानी तो मिल गया, पता नहीं कितना है
चंद्रयान-1 ने यह जानकारी तो दे दी कि चंद्रमा के ध्रुवों सहित कई हिस्सों में पानी मौजूद है, लेकिन यह कितना है, इसका पता चंद्रयान-2 के जरिए भेजे जाने वाले लेण्डर व रोवर से लगाया जाएगा। लेण्डर-रोवर की ओर से भेजे गए डाटा का विश्लेषण हम करेंगे।
Bureau Report
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