जज लोया केस: महाराष्ट्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में सौंपे दस्तावेज

जज लोया केस: महाराष्ट्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में सौंपे दस्तावेजनईदिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने विशेष सीबीआई जज बीएच लोया की मौत से संबंधित दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया. उच्चतम न्यायालय ने लोया की मौत की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘यह ऐसा मामला है जहां उन्हें (याचिकाकर्ताओं) सब कुछ पता होना चाहिए’. महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि उसके द्वारा पेश की गई कुछ गोपनीय रिपोर्टों को छोड़कर याचिकाकर्ता अन्य दस्तावेज हासिल कर सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने कोई निश्चित तारीख तय किए बिना इस मामले पर सुनवाई के लिए एक हफ्ते बाद का समय दिया.

संदिग्ध परिस्थियों में हुई मौत
सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया कि 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. माना जाता है कि बी एच लोया उस वक्त अपने सहकर्मी की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए जा रहे थे कि अचानक उनके सीने में दर्द हुआ और उनकी मौत हो गई. लोया सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिस वजह से उनकी मौत को संदेहास्पद मानते हुए जांच किए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी.

क्या है सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस
कहा जाता है कि सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी को गुजरात एटीएस ने तब अगवा किया जब वो हैदराबाद से महाराष्ट्र जा रहे थे. ऐसा कहा जाता है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कांस्टेबल अजय परमार से कहा था कि वो एटीएस कार्यालय के पीछे पड़ी बाइक को लेकर आए. बाइक पर सवार होकर राजस्थान पुलिस का एक कांस्टेबल बाइक पर सवार होकर ठीक उसी गाड़ी के पीछे चल रहा था जिसमें सोहराबुद्दीन सवार था.

कांस्टेबल थोड़ी दूर चला ही था कि अचानक बाइक से कूद गया, सोहराबुद्दीन को भी चलती कार से नीचे धक्का देकर सड़क पर गिरा दिया गया. इस दौरान दोनों को ही गंभीर चोटें लगी. चोट लगने के बाद पुलिस के 4 अधिकारियों ने अपनी ही बंदूक से 8 गोलियां सोहराबुद्दीन पर दागी, जिससे उसकी मौत हो गई.

सोहराबुद्दीन की मौत के बाद से ही उसकी पत्नी लापता है. कहा जाता है कि इस मामले का सिर्फ एक ही प्रत्यक्षदर्शी प्रजापति भी था, जिसकी 2016 में हत्या कर दी गई थी.

23 आरोपी पर मुकदमे
नवंबर 2005 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मी समेत कुल 23 आरोपियों पर मुकदमे चल रहे हैं. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मुकदमे को मुंबई भेज दिया गया था. तब से इस मामले की सुनवाई लंबित पड़ी हुई हैं.

Bureau Report

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