भूटान और फिजी की आबादी से भी ज्यादा है भारत में बेघरों की संख्या.

भूटान और फिजी की आबादी से भी ज्यादा है भारत में बेघरों की संख्या.नईदिल्ली: भारत की सरकार सभी के पास एक घर हो के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है. इसे लेकर बजट 2018 को संसद में पेश करने के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि साल 2022 तक सभी की सिर पर छत होगी, यानी सभी के पास एक घर होगा. ऐसा संभव हो सके इसके लिए 2022 तक दो करोड़ से ज्यादा घर बनाने होंगे. ये योजना कितनी संभव हो पाएगी ये तो आने वाले वक्त में पता चलेगा, लेकिन फिलहाल देश में बेघरों की जो संख्या है वो भूटान और फिजी की पूरी जनसंख्या से भी ज्यादा है. वहीं दक्षिण अफ्रीका, रूस और चीन में बेघरों की संख्या भारत के मुकाबले ज्यादा है.

भारत में 17.72 लाख लोग बेघर
जनगणना 2011 के मुताबिक, भारत में करीब 17.72 लाख लोग बेघर हैं. जो भूटान की 797,765 और फिजी की 898,760 की जनसंख्या से लगभग दोगुनी है. साल 2001 में हुई जनगणना में भारत में बेघरों की संख्या करीब 19.43 लाख थी. यानी 2011 तक इस संख्या में कमी आई. लेकिन इसी दौरान शहरी इलाकों में बेघरों की संख्या बढ़ गई. शहरों में बेघरों की संख्या में 1.6 लाख का इजाफा हुआ है.

ग्रेटर मुंबई में बेघरों की सबसे ज्यादा संख्या
देश के 14 प्रतिशत बेघर देश के टॉप पांच मेट्रो शहर में रहते हैं. इनकी कुल संख्या 245,490 है. जिसमें से ग्रेटर मुंबई में सबसे ज्यादा बेघर हैं. यहां करीब 95,755 लोगों के सिर पर छत नहीं है. दूसरे नंबर पर कोलकाता है जहां 69,798 लोग बेघर हैं. वहीं दिल्ली में 46,724, चेन्नई में 16,882 और बेंगलुरु में 16,531 लोग बेघर हैं.

यूपी में बेघरों की संख्या सबसे अधिक
राज्य की बात करें तो बेघरों की संख्या सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में हैं. यहां पर बेघर लोगों की संख्या 3.19 लाख है. दूसरे नंबर पर 2.13 लाख बेघरों की संख्या के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है. राजस्थान में 1.78 लाख, मध्य प्रदेश में 1.45 लाख और गुजरात में 1.45 लाख लोग बेघर हैं.

देश में अभी भी 542 आश्रय स्थल बनना बाकी है. केंद्र सरकार ने साल 2017 में देशभर में 1331 आश्रय स्थल बनाने के मंजूरी दी थी. लेकिन वर्तमान में सिर्फ 789 आश्रय स्थल ही कार्यरत हैं. अन्य या तो निर्माणाधीन हैं या फिर उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है.

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*