एक मां की हिजबुल से गुहार: ‘मेरे शौहर बहुत बीमार हैं, मेरे बेटे को लौटा दो’

एक मां की हिजबुल से गुहार: ‘मेरे शौहर बहुत बीमार हैं, मेरे बेटे को लौटा दो’नईदिल्ली: हिजबुल मुजाहिद्दीन की तरफ से बुधवार को जारी एक पैगाम में ऑपरेशनल कमांडर रियाज नाइकू खुद को कश्मीरी वाशिंदो का सबसे बड़ा हमदर्द बताया था. इस पैगाम के कुछ घंटो बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़ी एक नई खबर आई. इस खबर ने कश्मीर के अमन पसंद लोगों के माथे पर बल ला दिए. यह खबर एक डाक्टर के आतंकी बनने से जुड़ी थी. चंद घंटो बाद इन दोनों खबरों से जुड़ी एक तीसरी खबर आई. इस तीसरी खबर ने संदिल इंसानों के दिल में दर्द पैदा कर दिया. दरअसल, इस तीसरी खबर के दो पहलू थे. पहला पहलू एक मजबूर और बहुत बीमार माता-पिता को हिजबुल द्वारा दिए गए असहनीय दर्द का था, तो दूसरा पहलू हिजबुल मुजाहिद्दीन के क्रूर चेहरे का था.

ये मजबूर माता-पिता अनंतनाग की एसके कॉलोनी में रहने वाले बुरहान सादिक और उनकी बेगम हैं. बीते कुछ दिनों से इस दंपति के दिन का चैन और रातों की नींद इस बात से हराम थी कि इनका डाक्टर बेटा दो दिनों से घर वापस नहीं आया था. वहीं बुधवार को जम्मू-कश्मीर में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक तस्वीर आग की तरह वायरल हुई. यह तस्वीर इस बुजुर्ग दंपति का दिल दहला देने के लिए काफी थी. दरअसल इस तस्वीर में मौजूद शख्स कोई और नहीं बल्कि उनका अपना बेटा डा. बुरहान अहमद गनी था. इस तस्वीर को हिजबुल मुजाहिद्दीन नामक आतंकी संगठन ने वायरल किया था. इस तस्वीर में बताया गया था कि डा. बुरहान हिजबुल मुजाहिद्दीन का नया आतंकी बन चुका था.

इस तस्‍वीर को देखते ही बुरहान दंपति बुरी तरह से बेचैन हो गया. बुरहान सादिक लंबे समय से दिगाम की बीमारी से पीड़ित है. दवा खाने के बाद उनकी हालत ऐसी हो जाती है कि वह अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने में खुद को असहज महसूस करते हैं. बावजूद इसके, वह अपनी पत्‍नी को साथ लेकर घर से निकल पड़े. बुरहान दंपति ने हर उस दरवाजे पर दस्‍तक देना शुरू कर दी, जहां से उन्‍हें अपने बेटे के घर वापसी की उम्‍मीद थी. किसी ने सलाह दी कि आतंकियों ने आपके बेटे की खबर इंटरनेट से भेजी है. आप भी इंटरनेज के जरिए आतंकियों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर सतक हैं. बुरहान दंपति के पास न ही स्‍मार्ट फोन था और न ही उन्‍हें सोशल नेटवर्किंग साइट का कोई अनुभव था.  

बुरहान दंपति को अपनी इस परेशानी का हल अपने मोहल्‍ले के कुछ बच्‍चों में दिखा. उन्‍होंने बच्‍चों से गुजारिश की कि वह उनके बेटे के नाम सोशल मीडिया में उनका एक पैगाम डाल दें. मोहल्‍ले के बच्‍चे उनकी मदद करना तो चाहते थे, लेकिन आतंकियों के भय से वह कुछ कतरा भी रहे थे. इसी बीच, कुछ नामानिगार आतंकी बन चुके बेटे की जानकारी लेने के लिए वहां पहुंच गए. बुरहान दंपति ने इन नामानिगारों से भी अपने बेटे के नाम पैगाम भेजने की गुजारिश की. कुछ नामानिगार मान भी गए. इस बीच, सवाल यह खड़ा हुआ कि आतंकी और उनके बेटे के कैसे पता चलेगा कि यह पैगाम उसके माता-पिता ने भेजा है. यह सवाल बुरहान दंपति के मन में भी खटक गया. 

अचालक बुजुर्ग बुरहान सादिक की पत्‍नी दौड़ती हुई अपने घर की तरफ गई और घर से अपने बेटे के सभी एजुकेशनल सर्टिफिकेट और अपने पति की बीमारी से जुड़े सभी दस्‍तावेज लेकर वापस आई. सादिक की बेगम ने नामानिगारों कहा कि इनको देखकर उनके बेटे को यकीन हो जाएगा कि यह पैगाम हमने ही भिजवाया है. नामानिगारों ने इस परिवार की तस्‍वीरों के साथ डा.सादिक और बुरहान सादिक के दस्‍तावेजों को सोशल मीडिया में डाल दिया. इसमें आतंकियों को पैगाम दिया गया कि बुरहान सादिक नर्व सीजर की बीमारी से पीड़ित हैं. दवा खाने के बाद उनकी हालत ऐसी नहीं रह जाती है कि घर के बाहर भी निकल सकें. उन्‍होंने आतंकियों से गुजारिश की है कि उनको अपने बेटे की बहुत जरूरत है. खुदा के लिए उसे हमें वापस कर दें.

आतंकियों को पैगाम भेजने के बाद नामानिगारों ने बुरहान दंपति से उनके बेटे के बारे में जानकारी लेना शुरू किया. नामानिगारों की आतंकी बने डा. बुरहान में दिलचस्‍पी इस बात को लेकर भी थी कि अनंतनाग के इस्‍लामाबाद कस्‍बे का वह पहला शख्‍स है, जिसने मिलि‍टेंट रैंक पर हिजबुल मुजाहिद्दीन को ज्‍वाइंन किया है. इसके अलावा, आतंकवाद का रास्‍ता छोड़कर फुटबालर बने माजिद खान के उदाहरण के बाद आतंक की तरफ किसी शख्‍स के बढ़ने का यह पहला मामला था. बुरहान दंपति ने बताया कि उनका बेटा बुरहान अहमद गनी एक फिजियोथेरेपिस्‍ट है. वह कुछ दिन पहले अचानक घर से चला गया था. उन्‍हें अपने बेटे की चिंता तो थी, लेकिन उन्‍होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने लाचार और मजबूर माता-पिता को बेसहारा छोड़ आतंक के रास्‍ते पर निकल जाएगा. 

Bureau Report

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