तीन तलाक बिल: जफरयाब जिलानी ने कहा-संसद में पास होने से कोई फर्क नहीं पड़ता…जा सकते हैं SC

तीन तलाक बिल: जफरयाब जिलानी ने कहा-संसद में पास होने से कोई फर्क नहीं पड़ता...जा सकते हैं SCनईदिल्‍ली: राज्‍यसभा में भी तीन तलाक बिल पास होने के बाद इसका विरोध करने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि बीजेपी इसको चुनावी घोषणापत्र का हिस्‍सा समझ कर पास कराना चाहती थी. वह कामयाब हो गई. हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

उन्‍होंने कहा कि भले ही बिल पास होकर कानून बन जाए लेकिन इसमें खामियां हैं. इसकी जो असंवैधानिक बाते हैं, उनको स्‍टडी कर रहे हैं. उसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. हालांकि उससे पहले हमारी लीगल कमेटी की मीटिंग होगी. उसमें इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. इसके साथ ही कहा कि संसद ने यदि इसे पास किया है तो इसे वापस (Repeal) भी ले सकती है. ये कोई बड़ी बात नहीं है. ये गलत हुआ है, इसकी कोई जरूरत नहीं थी. जब बीजेपी की सरकार हटेगी तो भी Repeal भी कर सकते हैं.

इस बीच लोकसभा के बाद राज्‍यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के लिए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्‍य मौलाना केआर फिरंगी महली ने विपक्ष को जिम्‍मेदार ठहराया है. उन्‍होंने कहा कि इसके लिए वे दल जिम्‍मेदार हैं जो मत विभाजन के दौरान सदन में उपस्थित नहीं थे. यदि ऐसे मौके पर भी आप सदन में उपस्थित नहीं रहेंगे तो आपके सांसद होने का क्‍या मतलब है? AIMPLB तीन तलाक बिल के खिलाफ रहा है.

राज्यसभा ने मंगलवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक यानी ट्रिपल तलाक बिल को 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है. उधर, एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ओवैसी ने उम्मीद जताई कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल की वैधानिकता को चुनौती देगा.

असदुद्दीन ओवैसी
ओवैसी ने ट्रिपल तलाक बिल के राज्यसभा से पास होने के बाद एक के बाद कई ट्वीट किए. उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, “मुझे उम्मीद है कि भारत के संविधान की अनेकता और विविधता को बचाने की लड़ाई में पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल की वैधानिकता को चुनौती देता. कानूनों में समाज नहीं सुधरता. यदि ऐसा होता तो यौन शोषण, बाल शोषण, दहेज प्रताड़ना इतिहास बन गए होते.”  

ओवैसी ने कहा, “यह कानून मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. उन्हें और ज्यादा अधिकारहीन बनाएगा. यह कानून महिला को जेल में बंद उस व्यक्ति के साथ जबर्दस्ती निकाह में बने रहने को मजबूर करेग जिसने शाब्दिक और मानसिक तौर पर उसका शोषण किया था. यह कानून मुस्लिम महिलाओं को गरीबी की ओर धकेलेगा.” 

उन्होंने आगे कहा, “मौजूदा कानून सभी महिलाओं को महजब पर ध्यान दिए बिना व्यापक बचाव प्रदान करते हैं – जैसे कि घरेलू हिंसा कानून शाब्दिक, मानसिक या शारीरिक शोषण की शिकार महिला को कई तरह से उपाय प्रदान करता है.” अवैसी ने कहा, “यह उन लोगों के लिए मुश्किल समय है जो संविधान में दिए गए कानून, गैर-निरंकुशता, धार्मिक स्वतंत्रता में भरोसा करते हैं. हमारा अल्लाह पर अटूट विश्वास है. इंशा अल्लाह, हम इन चुनौतियों से पार पाएंगे.”

तीन तलाक विधेयक
उल्‍लेखनीय है कि मंगलवार को तीन तलाक विधेयक कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 बहस और पारित करने के लिए ऊपरी सदन में पेश किया गया. इस दौरान कानून मंत्री ने कहा कि कई इस्लामिक देशों में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मगर, भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद ऐसा नहीं किया.

इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में पारित किया गया था. विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तत्काल तलाक देने के मामले में पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान रखा गया है. इसी प्रावधान को लेकर विपक्षी दलों और मुस्लिम समाज के एक हिस्से को आपत्ति रही है.

Bureau Report

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