भारत के सीमावर्ती गांवों में नेपाली मोबाइल नेटवर्क का कब्जा, वारदात होने पर पुलिस को नहीं मिलता काल रिकार्ड

भारत के सीमावर्ती गांवों में नेपाली मोबाइल नेटवर्क का कब्जा, वारदात होने पर पुलिस को नहीं मिलता काल रिकार्ड

गोरखपुर: भारत के गांवों पर नेपाली मोबाइल नेटवर्क कंपनी का कब्जा है। सीमा से सटे गांवों में भारतीय टेलीकाम कंपनी का या तो टावर नहीं, है भी तो नेटवर्क ठीक से काम नहीं करता। व्यवस्था की इस खामी का फायदा अपराधी उठा रहे हैं। कोई भी वारदात होने पर पुलिस को नेपाली मोबाइल नंबर का काल डिटेल नहीं मिलता। एसपी श्रावस्ती ने सुरक्षा और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए इस समस्या का समाधान कराने के लिए एडीजी जोन को पत्र लिखा है। सीमा से सटे महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिले के गांव में भी यही समस्या है।

आपरेशन कवच के दौरान चौपाल लगा रही पुलिस

इंडो-नेपाल सीमा पर चल रहे आपरेशन कवच के दौरान पुलिस 10 किमी की परिधि में स्थित गांवों में चौपाल लगा रही है। श्रावस्ती जिले के मल्हीपुर व सिरसिया थानाक्षेत्र में सीमा से सटे राजपुर मोड़, सधईपुरवा, तुरुषमा व जब्दी गांव में पुलिस व खुफिया एजेंसी के अधिकारी पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने बताया कि इन गांवों में भारतीय टेलीकाम कंपनियों का कोई टावर नहीं है। इसकी वजह से यहां भारतीय कंपनियों के सिम कार्ड काम नहीं करते। भारत में रहकर भी लोगों को वाट्सएव व इंटरनेशनल काल करना पड़ता है। गांव से बाहर निकलने पर भारतीय नेटवर्क काम करता है। इसकी वजह से दोनों देशों के मोबाइल सिमकार्ड का इस्तेमाल करना पड़ता है।

एसपी श्रावस्ती ने एडीजी जोन अखिल कुमार को पत्र लिख मामले की जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से यह अनुचित है। जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखा गया लेकिन समाधान नहीं हुआ। इन गांवों में नेपाली सिम के ही काम करने की वजह से यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है तो सर्विलांस की मदद से कोई जानकारी नहीं मिल पाती है।

सिद्धार्थनगर के इन गांवों में भी है परेशानी

नेपाल सीमा से सटे सिद्धार्थनगर जिले के धनौरी, बगही, मड़नी, घरुआर डिहवा, बसंतपुर, लोहटी व कोटिया बाजार में भारतीय मोबाइल कंपनियों का नेटवर्क बेहतर तरीके से काम नहीं करता है। इसलिए गांव के अधिकांश लोग नेपाली कंपनी के सिम का सहारा लेते हैं।

तस्कर व अराजक तत्व उठा रहे फायदा

महराजगंज के सीमावर्ती गांव खनुआ, शेष फरेंदा, कस्बा सोनौली, भगवानपुर, सुंडी, बरगदवा व कैथवालिया उर्फ बरगदही जैसे दर्जनों गांवों में नेपाली टेलीकाम कंपनियों के नेटवर्क धड़ल्ले से चल रहे हैं। वहीं इन गांवों में भारतीय नेटवर्क बहुत कमजोर या बाधित रहते हैं। नशे का धंधा व तस्करी के लिए चर्चित इन गांवों में तस्कर या अन्य अराजक तत्व नेपाली सिम का प्रयोग करते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

एडीजी जोन/नेपाल सीमा सुरक्षा अखिल कुमार ने बताया कि नेपाल सीमा से सटे गांवों में भारतीय कंपनियों का मोबाइल मोबाइल टावर व नेटवर्क न होने की बात सामने आई है। इस संबंध में शासन को पत्र लिखा जा रहा है। जल्द ही स्थिति में सुधार होगा।

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