कोलंबो: भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में राजनीतिक संकट भी गहरा गया है। मंगलवार को सत्तारूढ़ गठबंधन के दर्जनों सांसदों ने सरकार का साथ छोड़ दिया। सोमवार को ही नियुक्त किए गए नए वित्त मंत्री अली साबरी ने भी 24 घंटे के भीतर इस्तीफा दे दिया। सरकार के अल्पमत में आने के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार से देश में लागू आपातकाल को मंगलवार मध्यरात्रि से हटाने की घोषणा की।
बहुमत साबित करने वाली पार्टी को मिलेगी सत्ता
गोटाबाया ने एलान किया है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और संसद में बहुमत साबित करने वाली किसी भी पार्टी को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के स्थान पर कोई नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं या मध्यावधि चुनाव करा सकते हैं। वहां आम चुनाव 2025 में निर्धारित हैं। साबरी ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, ‘विचार-विमर्श करने व वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब मेरी राष्ट्रपति को सलाह है कि अभूतपूर्व संकट का सामना करने के लिए नए और प्रभावशाली उपाए किए जाएं। इस समय नए वित्त मंत्री की नियुक्ति सहित गैरपारंपरिक कदम उठाने की जरूरत है।’ वित्त मंत्री पद से बर्खास्त किए गए बासिल राजपक्षे सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन में व्याप्त असंतोष का केंद्र थे।
मंगलवार से शुरू हुआ संसद का चार दिवसीय सत्र
डेली न्यूज ने पूर्व राज्य मंत्री निमल लांजा के हवाले से बताया कि सरकार का समर्थन करने वाले 50 से ज्यादा सांसदों ने मंगलवार को संसद में स्वतंत्र समूह के रूप में काम करने का एलान कर दिया। उनका कहना है कि सक्षम समूह को सत्ता सौंपे जाने तक वह इसी भूमिका में रहेंगे। पूर्व मंत्री विमल वीरावांसा ने भी एलान किया कि सरकार में शामिल 10 दलों के सांसद गठबंधन छोड़ देंगे। श्रीलंकाई संसद का चार दिवसीय सत्र मंगलवार से शुरू हुआ। विपक्ष के वरिष्ठ नेता रानिल विक्रमसिंघे ने स्पीकर से कहा, ‘संबंधित मंत्रियों की अनुपस्थिति में एजेंडे पर चर्चा से हमें आपत्ति है।’ अनुरा कुमारा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) समेत गठबंधन के अन्य दलों के सरकार से अलग होने के बाद डिप्टी स्पीकर की भी नियुक्ति जरूरी है। डिप्टी स्पीकर रंजीत सियांबलपतिया इस्तीफा दे चुके हैं।
सरकार को 138 सदस्यों का समर्थन होने का दावा
मुख्य विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि वे बेहद मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति प्रणाली खत्म करने और नई चुनाव प्रणाली लाने की मांग की। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने मौजूदा आर्थिक व राजनीतिक संकट पर चर्चा के लिए बुधवार से दो दिवसीय बैठक बुलाई है। वर्ष 2020 के चुनाव में 150 सीटों पर जीत दर्ज करने वाले गठबंधन के 41 सांसदों ने उससे किनारा कर लिया है। गोटाबाया को 225 सदस्यीय सदन में बहुमत साबित करने के लिए 113 मतों की जरूरत होगी। एसएलपीपी सांसद रोहिता अभयगुणवर्धना का दावा है कि सरकार को 138 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि सरकार के खिलाफ लोगों के आक्रोश व आर्थिक संकट को देखते हुए रविवार को 26 कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। विपक्षी दल सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं।
Bureau Report
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