‘सुप्रीम कोर्ट ने पार की लक्ष्मण रेखा’, नुपुर मामले में 15 रिटायर्ड जजों और 77 नौकरशाहों ने सुनाई खरी-खरी

'सुप्रीम कोर्ट ने पार की लक्ष्मण रेखा', नुपुर मामले में 15 रिटायर्ड जजों और 77 नौकरशाहों ने सुनाई खरी-खरी

पैगंबर के खिलाफ विवादित बातों से जुड़े नुपुर शर्मा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणियों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मंगलवार को देश के 15 रिटायर्ड जजों, 77 नौकरशाहों व 25 पूर्व सैन्य अफसरों ने खुला पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारडीवाला की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। 

खुले बयान में कहा गया है कि इस तरह के अपमानजनक बयान का न्यायपालिका के इतिहास में इससे पहले का कोई उदाहरण नहीं है। यह खुला पत्र फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशियल जस्टिस, जेएंडके एंड लद्दाख एट जम्मू’ की ओर से लिखा गया है। इसमें मांग की गई है कि जस्टिस सूर्यकांत के सेवानिवृत्त होने तक उन्हें सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर से हटा दिया जाना चाहिए। उन्हें नुपुर शर्मा केस की सुनवाई के वक्त की गई टिप्पणियों को वापस लेने को कहा जाना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने पार की लक्ष्मण रेखा
खुले पत्र में रिटायर्ड जजों व अन्य अधिकारियों ने कहा है कि निलंबित भाजपा नेता नुपुर शर्मा के मामले में शीर्ष कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी। पत्र में कहा गया है कि न्यायपालिका के इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों की ऐसी कोई मिसाल नहीं है। ये सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर अमिट निशान है। इसमें सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि इसका लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम हो सकता है। 

पत्र पर इन हस्तियों के हैं हस्ताक्षर
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएम सोनी, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरएस राठौर और प्रशांत अग्रवाल, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगरा शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी आरएस गोपालन और एस कृष्ण कुमार, सेवानिवृत्त राजदूत निरंजन देसाई, पूर्व डीजीपी एसपी वेद और बी एल वोहरा, लेफ्टिनेंट जनरल वी के चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त) और एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एसपी सिंह ने भी बयान पर दस्तखत किए हैं। 

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*