अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में साल 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 26 सीटों में से एक पर भी जीत नहीं मिली थी. यह सारी सीटें भाजपा के खाते में गई थीं. हालांकि उसके बाद साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को अगर संकेत मानें तो भाजपा को राज्य की कम से कम सात लोकसभा सीटों (Lok Sabha Elections 2019) पर जीत के लिए खूब पसीना बहाना पड़ेगा. इनमें ज्यादातर सीटें भाजपा का गढ़ माने जाने वाले सौराष्ट्र क्षेत्र में हैं.
गुजरात में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में उसे सिर्फ 16 सीटें नसीब हुई थीं. भाजपा को 2017 के विधानसभा चुनावों में महज 99 सीटें मिल पाई, जो पिछले दो दशकों में पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन था. गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं.
कांग्रेस को सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र की 54 सीटों में से 30 सीटों पर जीत मिली थी. इसे देखते हुए पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के तरकश में तीर के तौर पर सामने आए.
बीजेपी के लिए ‘सौराष्ट्र’ का संकट
कांग्रेस नेताओं को यकीन है कि पार्टी सौराष्ट्र क्षेत्र में कम से कम चार सीटें- अमरेली, जूनागढ़, बोटाड और सुरेंद्रनगर – जीत सकती है. पार्टी मध्य गुजरात की आणंद सीट और उत्तरी गुजरात की बनासकांठा एवं पाटन सीट पर भी अपनी जीत की संभावनाएं देख रही है. दाहोद, छोटा उदयपुर और साबरकांठा सीटों पर भी कांग्रेस की नजर है.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, ‘‘सौराष्ट्र के लोगों ने 2017 के चुनावों में दिल खोलकर हमारा समर्थन किया था, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में हमें काफी सीटें मिली. लोकसभा चुनावों में निश्चित तौर पर यह एक पहलू होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उस क्षेत्र से चार-पांच सीटें जीतने की उम्मीद रखते हैं.’’ सौराष्ट्र में भाजपा इस धारणा से जूझ रही है कि 2016 में आई बाढ़ से प्रभावित हुए लोगों की मदद करने में वह नाकाम रही. दोशी ने कहा कि कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में कम से कम 12-13 सीटों पर जीत की उम्मीद है.
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