जम्मू-कश्मीर: अक्टूबर महीने में चुनाव कराने की मांग करेगी BJP, अभी लागू है राष्ट्रपति शासन

जम्मू-कश्मीर: अक्टूबर महीने में चुनाव कराने की मांग करेगी BJP, अभी लागू है राष्ट्रपति शासननईदिल्‍ली: बीजेपी अक्‍टूबर में जम्‍मू-कश्‍मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग से मांग करेगी. कल शाम पार्टी की जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक में इस पर आम सहमति बनी है. जम्मू-कश्मीर में दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू है. इस बीच राज्‍य के गवर्नर सत्‍यपाल मलिक ने कहा है कि सूबे के नेताओं के झूठ के कारण जम्‍मू और कश्‍मीर बदहाल होता चला गया है. घाटी के नेताओं ने लोगों हमेशा झूठे सपने दिखाकर अपने मंसूबे पूरे किए हैं. उन्‍होंने यह बात शेर कश्‍मीर इंटरनेशनल कॉनवोकेशन सेंटर में एक कार्यक्रम दौरान कहीं हैं. उन्‍होंने सूबे के मौजूदा हालात के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर के राजनैतिक दल और पूर्व के केंद्र सरकारों को जिम्‍मेदार ठहराया है.

उन्‍होंने अलगाववादी ताकतों से कहा कि अगर तुम पाकिस्‍तान के साथ जाना आजादी मानते हो, तो चले जाओ, कौन रोकता है. लेकिन, हिन्‍दुस्‍तान को तोड़कर कोई आजादी नहीं मिलने वाली है. यह बात जम्‍मू और कश्‍मीर के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने पाकिस्‍तान परस्‍त घाटी के उन नेताओं से कही है, जो देश के दो टुकड़े कर वादी में आतंकियों के मददगार बने हुए हैं.

राज्यपाल सत्‍यपाल मलिक ने कहा कि आज के हालत के लिए केंद्र की वह सरकारें जिम्‍मेदार हैं, जिन्‍होंने बेइमानी से बिना चुनाव कराए मुख्‍यमंत्री बनाए और जीते हुए लोगों को हरा दिया. उन्‍होंने कहा कि जम्‍मू कश्‍मीर के नेताओं को वह अधिक दोषी मानते हैं, क्‍योंकि उन्‍होंने कभी सच नहीं बोला, वे जनता को हमेशा झूठे वादे दिखाते रहे.

उन्‍होंने कहा कि आज मेरा शाल वाला भी पूछता है कि साहब हम आजाद हो जाएंगे क्‍या? इस सवाल के जवाब में राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने कहा कि तुम तो आज़ाद ही हो और अगर तुम पाकिस्तान के साथ जाने को आज़ादी मानते हो तो चले जाओ, कौन रोकता है, लेकिन हिंदुस्तान को तोड़कर कोई आज़ादी नहीं मिलेगी.

उन्‍होंने कहा कि खेल हो या फिर प्रतियोगी परीक्षाएं, हर क्षेत्र में जम्‍मू और कश्‍मीर के बच्‍चे आगे हैं. लेकिन, गलत पॉलिटिक्स के चलते सब प्रभावित हुआ है. उन्‍होंने कहा कि यह जो आज हालात हैं यह एक दिन में पैदा हुई बीमारी नहीं है, जो मुझको झेलनी पड़ रही है. राज्यपाल यहीं नहीं रुके, उन्होने कहा कि यहां तो झंडा भी अलग है और संविधान भी अलग है. यहां तक कि मेरी गाड़ी पर राष्ट्रीय ध्‍वज के साथ यहां का झंडा भी लगा हुआ है. 

उन्‍होंने कहा कि आम जनता सड़क, स्कूल, पुल, आदि चाहती है, जोकि उसे देने की ज़रूरत है. दिल्ली ने दिया तो बहुत कुछ है, लेकिन अगर आप उसे भीख की तरह देंगे तो कुछ नहीं होगा. सम्‍मान के साथ यह कहकर दिया जाए कि यह तुम्‍हारा हिस्‍सा है.

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